द ब्लेज ई न्यूज,जशपुरनगरः पनचक्की शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर सुरम्य पहाड़ियों के बीच कलकल बहती पानी और झरने का अहसास दिलाती डेम के दिलकश नजारे का

आनंद लेते हुए वनभोज का लुत्फ उठाने आप भी कभी ना कभी अवश्य गए होगें। लेकिन आपने शायद ही ध्यान दिया हो कि शहर का यह रियासतकालिन धरोहर पर ध्वस्त होने का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस डेम की दीवार पर बड़े-बड़े सुराख उभर आए हैं। इसके किनारे के हिस्से से खतरनाक तरीके से जल का रिसाव भी हो रहा है। आशंका जताई जा रही है कि भारी बारिश होने पर इस डेम को खतरा हो सकता है। हालांकि जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि इस डेम की रिपेयरिंग का प्रस्ताव बजट की स्वीकृति के लिए शासन के पास भेज दिया गया है। लेकिन बांध की हालत को देखते हुए लोगों की चिंता बढ़ गई है।


3 लाख 91 हजार की लागत से हुआ था निर्माण
रियासतकालीन पर्यटन स्थल पनचक्की के समीप स्थित तिवारी व्यपवर्तन योजना का तात्कालीन मध्य प्रदेश शासन ने 1963 में दी थी। विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक इस समय इस बांध सह नहर निर्माण की लागत मात्र 3 लाख 91 हजार रूपये ही आई थी। जल संसाधन विभाग का कहना है कि तिवारी नाला एक जीवित पहाड़ी नाला है। इसमें साल के बारह माह पर्याप्त पानी उपलब्ध रहता है। सिंचाई के साथ भू जल के लिहाज से भी यह बांध व नहर महत्वपूर्ण है। लेकिन उपेक्षा व अतिक्रमण ने बांध व नहर के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक इस योजना का कैचमेंट क्षेत्रफल अर्थात बांध का जलग्रहण क्षेत्र 10.05 वर्ग किलोमीटर है। वहीं इस बांध व नहर से खरीफ के मौसम में 213 एकड़ और रबी के मौसम में 154 एकड़ खेतों की प्यास बुझती है। तिवारी नहर परियोजना शहर के साथ ग्राम पंचायत सारूडीह और जशपुर के 138 किसानों के खेतों की प्यास बुझाती है।

2018 में हुआ कराया गया था मरम्मत कार्य –
इस डेम का अस्तित्व बचाने के लिए वर्ष 2018 में जिला प्रशासन ने खनिज न्यास निधि के सहयोग से मरम्मत कराया था। इस मरम्मत कार्य में डेम में भरे हुए जलिय खर-पतवार व मिट्टी की सफाई के अलावा बांध की उंचाई को बढ़ाया गया था। इसके साथ ही बांध की दीवार की मरम्मत का काम भी किया गया था। लेकिन सात साल में ही जल संसाधन विभाग का यह मरम्मत कार्य जवाब देने लगा है।
‘पनचक्की डेम के मरम्मत के लिए स्टीमेट तैयार किया गया है। स्वीकृति मिलने पर कार्य किया जाएगा।’
विनोद भगत,ईई,जल संसाधन विभाग,जशपुर।