जशपुरनगर। जी हां,आप बैठे हुए मवेशियों की जो तस्वीरे देख रहें हैं,यह किसी गोठान का नहीं अपितु शहर के सबसे प्रमुख मार्ग गौरवपथ का है। शनिवार की सुबह साढ़े 8 बजे ली गई यह तस्वीर कलेक्टर निवास से लेकर जूदेव प्रतिमा के पास की है। दर्जनों मवेशी आराम से बीच सड़क में डेरा जमाएं हुए है। वाहन चालक,इन मवेशियों से बच कर चलने के लिए मजबूर हैं। इन दिनों लगातार हो रही वर्षा से दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। खास कर,रात के समय दूर से मवेशियों के नजर न आने से शहर में हादसे में होते रहते हैं। लेकिन,जिम्मेदार अधिकारियों की नींद अब तक नहीं टूटी है। मवेशी पालकों की मनमानी के आगे प्रशासन पूरी तरह से नतमष्तक हो चुका है।
कागजों में सिमटा नगरपालिका का अस्तित्व –
भाजपा नीत नगर सरकार का अस्तित्व पूरी तरह से कागजों में सिमटा हुआ नजर आ रहा है। स्वच्छता अभियान में मिले पुरस्कार की खुशी में डूबे पालिका के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को न तो नगरवासियों की तकलीफें नजर आ रहीं हैं और ना ही समस्याएं। लगातार बढ़ती हुई नाराजगी से घबराई नगरपालिका,पीआईसी और सामान्य सभा की बैठक के लिए शुभ मुहुर्त का इंतजार कर रही है। भले ही इससे,पार्षदों में नाराजगी का लावा सुलग रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि पूरे जिले में सिर्फ नगरपालिका जशपुर में ही भाजपा का कब्जा रह गया है। बगीचा,कुनकुरी,कोतबा नगरीय निकाय में भाजपा के हाथ से निकल गए थे। पत्थलगांव को भाजपा के असंतुष्ट भाजपा पार्षदों ने ही उसके सिर से सत्ता का ताज छिन कर,कांग्रेस के हाथ में सजा चुके हैं। इन तमाम उलट फेर और झटकों के बाद भी भाजपा आलाकमान की नींद नहीं टूट रही है।
शहरी गोठान पर अटकी अधिकारियों का सुर –
वहीं,पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों की बात की जाए तो शहर में लगातार गहराती जा रही निराश्रित मवेशियों की इस समस्या को लेकर उनका सुर शहरी गोठान में अटका हुआ है। योजना लागू हुए 4 साल का समय बीत जाने के बाद भी अब तक शहरी गोठान जमीन से दूर है। लेकिन,मिडिया में खबर उठते ही अधिकारी इसी राग को अलापते नजर आते हैं। कांजी हाउस में इन निराश्रित मवेशियों को रखने की जिम्मेदारी लेने के लिए पालिका के अधिकारी और कर्मचारी तैयार नहीं है।