रायपुर। पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही अब ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने लगी है।रायपुर में मुख्य सचिव के नाम पर कलेक्टर को सौपे गए ज्ञापन में बढ़ते हुए शोर पर नकेल कसने के लिए समय समय पर न्यायालय और एनजीटी द्वारा जारी किए गाइड लाइन और आदेश को लागू करने के लिए कलेक्टर और एसपी को जिम्मेदार बनाने की मांग की गई है। ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं में डॉ. राकेश गुप्ता, विश्वजीत मित्रा, नितिन सिंघवी, हरजीत जुनेजा, डॉ. नवेन्दू पाठक, डॉ. ज्योतिर्मय चंद्राकर, जसमीत कौर, पुष्पलता वैष्णव, उमाप्रकाश ओझा, पवन चंद्राकर, हरीश मारदीकर, संदीप कुमार, मनजीत बल, विनयशील शामिल हैं। ज्ञापन के साथ पूर्व में जारी ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए नियमों की जानकारी भी प्रेषित की है। साथ ही जनता की परेशानी को देखते हुए ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया गया है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त ध्वनि प्रदूषण विरोधी मुहिम की जानकारी देते हुए ज्ञापन में कहा है कि ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव छोटे बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों पर अधिक देखने को मिलता है साथ ही गर्भवती माताओं, रोगियों पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय बिलासपुर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल जैसी प्राधिकृत संस्थाओं ने समय-समय पर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिये हैं एवं मानक तय किये हैं, लेकिन इन मानकों पर पालन नहीं हो रहा है।
कोरोना के बाद बिगड़ी स्थिति
ज्ञापन में यह उल्लेख किया गया है कि विगत दो-ढाई वर्षों में जब कोरोना के चलते विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध था, उस समय में ये देखा गया कि इस दौरान होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर एक प्रकार से रोक लगी हुई थी जिसका सीधा लाभ आम जनता की मानसिक शांति पर पड़ा। कोविड काल के प्रतिबंध शिथिल होने के बाद विभिन्न प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, निजी संस्थानों, निकायों द्वारा कार्यक्रमों के आयोजन किये जा रहे हैं उनमें फिर से ध्वनि विस्तारकों का धड़ल्ले से उपयोग होने लगा है जिससे फिर से आम जनता को ध्वनि प्रदूषण से तकलीफें बढ़ गई हैं।