जशपुरनगर (द ब्लेज इ न्यूज)। नगर पालिका जशपुर की सामान्य सभा की बैठक बुधवार को पालिका के सभागार में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में दो माह की देरी से,पालिका का वित्त वर्ष 2023-24 का बजट प्रस्तुत किये जाने की संभावना है। बैठक दोपहर 12 बजे आहूत की गई है। जानकारी के अनुसार इस बैठक में विभिन्न मदों के तहत आमंत्रित निविदा दर को स्वीकृत किये जाने पर विचार व निर्णय के साथ कुछ स्थानीय विषयों को भी एजेंडे में शामिल किया गया है। इनमें पुराने विद्युत तारों को बदलना,रणजीता स्टेडियम के पास गुमटियों को व्यवस्थित करना शामिल है। नगर पालिका के सामान्य सभा की यह प्रस्तावित बैठक लगातार किसी न किसी कारण से टलती जा रही थी। बजट के साथ इस बैठक में पालिका क्षेत्र में सरकारी जमीन की व्यवस्थापित की गई जमीन की सूची,परिषद के पटल में पेश होने की आशा है। पालिका के प्रभारी सीएमओ सुशील सेन ने परिषद की पिछले बैठक में,इस सूची को,परिषद के पटल में रखने का आश्वासन,पार्षदों को दिया था। उल्लेखनिय है कि बीते कुछ समय से नगरपालिका,राजनीतिक खिंचतान,भ्रष्टाचार और मनमानी को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है। विदित हो कि 20 सीट वाले इस परिषद में 17 पार्षदों के साथ भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत है। भाजपा के नरेश चंद्र साय,पालिका के अध्यक्ष और राजेश गुप्ता उपाध्यक्ष के पद पर काबिज है। लेकिन,कोरोनाकाल के बाद,पालिका की बैठक शुरू होने के बाद से ही परिषद की बैठक में हंगामा देखने को मिल रहा है। पार्षद फंड में गड़बड़ी,निर्माण कार्यो की गुणवत्ता,निर्माण कार्यो में लेट लतीफी जैसे कई मुद्दों में निर्दलिय पार्षदों के साथ भाजपा के पार्षद अपने ही पार्टी के अध्यक्ष पर निशाना साधते रहे हैं। पालिका में चल रहे इस रस्साकसी से नगर का विकास किस कदर प्रभावित हो रहा है,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नया वित्त वर्ष शुरू हुए दो माह से अधिक समय बीतने के बावजूद,नगर सरकार अब तक जनता के सामने अपना बजट पेश नहीं कर पाई है। सामान्य सभा की बैठक न होने से करोड़ों का निर्माण कार्य,निविदा दर स्वीकृत न होने से अधर में लटका हुआ है।
इसलिए महत्वपूर्ण है व्यवस्थापन की सूची –
सामान्य सभा की बैठक में नगर में सरकारी जमीन के व्यवस्थापन की सूची पर सबकी नजर टिकी हुई है। इसका प्रमुख कारण,शहर के महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान की जमीनों को कौड़ियों के भाव पर,बेचा जाना रहा है। इनमें सबसे विवादित व्यवस्थापन शहर के बस स्टेण्ड के समीप स्थित मंडी की जमीन और सन्ना रोड में बैंक की जमीन शामिल है। हालांकि व्यवस्थापन की इस प्रक्रिया में पालिका की भूमिका जिला प्रशासन को अभिमत देने तक सीमित है। लेकिन,पार्षदों का कहना है कि बिना परिषद को विश्वास में लिए,पालिका के अधिकारी व कर्मचारियों ने आंख मूंद कर,अभिमत जारी किया है।