जशपुरनगर (द ब्लेज ई न्यूज )। माता -पिता से लिपटे हुए बच्चे और दोनों की आँखों से झर-झर बहते आंसू। मानो बरसों अलग रहने के बाद आज मिले हो। यह दृश्य किसी बॉलीवुड फ़िल्म का नहीं है,अपितु शुक्रवार को जिले के दुलदुला ब्लाक के कस्तूरा में स्थित प्रसिद्व भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कस्तूरा और इसके आसपास के दूसरे गांवों से माता-पिता के साथ बच्चे पहुंचे थे।

कार्यक्रम में जीवन में माता-पिता के महत्व की व्याख्या करते हुए जैसे ही आयोजकों ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए माता-पिता को गले लगाने का अनुरोध किया,सीने से चिपके हुए बच्चों और माता-पिता भावुक हो कर रोने लगे। करन सिंह ने बताया कि कस्तूरा में हर साल 14 फरवरी में मातृ-पितृ दिवस का आयोजन किया जाता है। उन्होनें बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य माता-पिता और संतानों के बीच के स्नेहील संबंध को मजबूत करना और लोगों को भारतीय परंपरा व संस्कृति से बांधे रखना है। उन्होनें बताया कि इंटरनेट मिडिया के इस युग पश्चिमी सभ्यता के चकाचौंध में फंस कर युवा पीढ़ी सदियों पुरानी परंपरा से दूर होती जा रही है।

इस तरर के कार्यक्रम के माध्यम से ही उन्हें वापस लाया जा सकता है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंची राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रियंवदा सिंह जूदेव ने कहा कि मातृ-पितृ दिवस में बेहद भावुक दृश्य देखने को मिला। एक ओर अपनी संतानों को सीने से चिपटाए माता-पिता भावुक हो कर सिसक रहे थे,वहीं बच्चे भी अपने माता-पिता से गले लग कर आंसु बहा रहे थे। यह दृश्य बताता है कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की डोर कितनी मजबूत है। भारतीय संस्कृति में अब भी ममता की डोर हम सबकों मजबूती से बांधे हुए हैं। उन्होनें आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि मातृ-पितृ दिवस जैसे आयोजन समय-समय पर होते रहना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति से बांधे रखने में सहायता मिलेगी। कार्यक्रम में राजपुरोहित केदार मिश्रा,परमानंद मिश्रा,नरेश मिश्रा,कालेश्वर राम,करन सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
