*कुनकुरी (निशांत यादव की रिपोर्ट)*। अग्निपथ योजना देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य के साथ किया जा रहा खिलवाड़ है। इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान केन्द्र सरकार के अग्निपथ योजना पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उक्त बातें कही। उन्होनें मिडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 6 साल की सेवा समाप्त करने के बाद जब युवा रिटायर होगा तो उसके पास न रेंक रहेग और न पेंशन। एक ओर जहां सेना के अधिकारी के पास रेंक और पेंशन। ऐसे युवाओं के शादी कार्ड में भूतपूर्व सैनिक लिखा नजर आएगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अग्निपथ योजना को देख कर लगता है केंद्र सरकार के पास पैसे की कमी है। इसलिए,केंद्रीय सेवाओ में 26 लाख से ढ़ी पद रिक्त होने के बावजूद इसे भरे नहीं जा रहे हैं। कार्पोरेट कल्चर को आगे कर केंद्र सरकार आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर रही है। सीएम ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने सेवानिवृत्त होने वाले अग्निवीरों का शत प्रतिशत नोकरी देने की बात कही है। सीएम ने कहा कि बिना आरक्षण की व्यवस्था को प्रभावित किए,ऐसा करना संभव नहीं क्योंकि अभी भूतपूर्व सैनिकों के लिए सिर्फ 2 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। डिलिस्टिंग के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने भाजपा और उनके अनुषांगिक संगठनों पर निशाना साधते हुए कहा कि डिलिस्टिंग पर शोर मचाने के बजाए संसद में आवाज उठाएं भाजपाई जशपुर नगर। कुनकुरी में आयोजित पत्रकारवार्ता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डिलिस्टिंग के विषय पर खुल कर अपने विचार रखे। उन्होंने इस पूरे मामले को भाजपा के सहयोगी संगठन का मामला बताते हुए कहा कि अगर डिलिस्टिंग को लागू कराना चाहते हैं तो उन्हें इस मामले को प्रधानमंत्री से चर्चा कर संविधान में संशोधन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश को अशांत करने का प्रयास सही नहीं है। उन्होंने कहा कि डिलिस्टिंग लागू होने से ईसाई समुदाय के साथ साथ दूसरे धर्मों का पालन कर रहे आदिवासियों को भी नुकसान होगा क्योंकि संविधान में आदिवासियों के किसी धर्म का उल्लेख नहीं है। जीएसटी मामले की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी सेस की अवधी तो केन्द्र सरकार ने बढ़ा दी है लेकिन इस वसूले गए सेस का वितरण प्रभावित राज्यों तक पहुंचे,इसके लिए सभी राज्यों को मिल कर प्रयास करना होगा। इसकों लेकर वे केन्द्र सरकार के साथ सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से पत्राचार कर रहें हैं।