द ब्लेज ई न्यूज जशपुरनगरः एक पत्नी को अपने पति को सिविल डेड (कानूनी रूप से मृत) साबित करने के लिए 27 साल तक कानूनी संघर्ष करना पड़ा। आखिर में जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले से राहत मिली। ग्राम पीडी की रहवासी अग्नेसिया टोप्पो के पति नजारियुस टोप्पो वर्ष 1998 में जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान अवकाश में घर आने के दौरान लापता हो गए थे। अग्नेसिया की सूचना पर सिटी कोतवाली पुलिस में गुम इंसान का मामला दर्ज हुआ था। सात साल तक नजारियुस की खोजबीन करने के बाद सीआरपीएफ ने उसे मृत मानते हुए पेंशन सहित अन्य आर्थिक लाभ पत्नी को उपलब्ध करा दिया था। लेकिन पैतृक संपत्ति का अधिकार पाने के लिए अग्नेशिया ने फौती कटवाने के लिए कलेक्टर जशपुर के पास आवेदन प्रस्तुत किया। कलेक्टर ने आवेदन को निरस्त कर दिया। इस पर जिला न्यायालय के अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी के माध्यम प्रार्थिया ने पति को सिविल डेड घोषित करने के लिए सन 2023 जिला न्यायालय में वाद पेश किया। इस पर प्रधान जिला न्यायधीश सत्येन्द्र साहू ने नजारियुस टोप्पो को सिविल डेड घोषित करते हुए पीड़िता को राहत दी है। परिवादी के अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि नजारियुस के मृत घोषित ना होने से प्रार्थिया को अपनी पैतृक संपत्ति पर कानूनी अधिकार नहीं मिल पा रहा था। सिटी कोतवाली में गुम इंसान दर्ज कराने के बाद संपत्ति के नामातंरण के लिए फौती कटवाने के लिए प्रार्थियों ने कलेक्टर कार्यालय में आवेदन लगाया तो तात्कालिन कलेक्टर ने इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद अग्नेसिया संपत्ति का नामातंरण कराने के लिए चक्कर काटती रही।

अंत में अधिवक्त सत्यप्रकाश तिवारी के माध्यम से 2023 में व्यवहार न्यायधीश वर्ग 1 की अदालत में पति नजारियुस को मृत घोषित कर,संपत्ति का वारिस घोषित करने के लिए वाद दाखिल किया। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने प्रार्थियों को संपत्ति का वारिस घोषित तो किया लेकिन नजारियुस को मृत घोषित करने का अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए स्वीकार नहीं किया। इसके बाद मामला जिला न्यायालय में पहुंचा। जिला न्यायधीश सत्येन्द्र साहू ने प्रार्थिया को सीआरपीएफ द्वारा दिये जा रहे पेंशन के आधार पर संपत्ति का वारिस और उसके पति के 1998 से लापता होने के आधार पर सिविल डेड घोषित करते हुए बड़ी राहत दी है।
सभी के लिए महत्वपूर्ण निर्णय-

अग्नेसिया टोप्पो के इस कानूनी संघर्ष के अधिवक्ता सत्य प्रकाश तिवारी का मानना है कि प्रधान जिला न्यायधीश सत्येंद्र साहू द्वारा दिया गया निर्णय गुम इंसान के मामले में अपने कानूनी अधिकार के लिए भटक रहे लोगों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने सिविल डेड के इस मामले को दुर्लभ न्यायिक मामला भी बताया। अधिवक्ता तिबारी का कहना है कि एक पत्नी द्वारा अपने पति की मृत्यु की कानूनी घोषणा की मांग को लेकर भटकना मानवीय संवेदना को झकझोरने वाला है।



