अमित बघेल ने दैनिक भास्कर डिजिटल की टीम से खास बातचीत की।
जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने रायपुर में छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति टूटने के बाद प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी के प्रमुख अमित बघेल ने अग्रवाल और सिंधी समाज को लेकर टिप्पणी की।
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अग्रवाल और सिंधी समाज के लोगों ने इस पर नाराजगी जाहिर की और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में विरोध किया। इस मामले में रायपुर और सरगुजा में बघेल के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है।
इस पूरे विवाद पर दैनिक भास्कर डिजिटल ने जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रमुख अमित बघेल से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जैसा करोगे वैसा वापस पाओगे। माफी मांगने के सवाल पर बघेल ने कहा कि FIR से पहले चर्चा क्यों नहीं की? दो चिन्हारी नहीं चलेगी, छत्तीसगढ़िया रंग में रंगना होगा। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…

जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना प्रमुख अमित बघेल ने कई सवालों के स्पष्ट जवाब दिए।
सवाल- पुलिस ने मूर्ति तोड़ने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और जेल भेज दिया है। आप इस कार्रवाई से कितने संतुष्ट हैं?
जवाब- यह विवाद कैसे शुरू हुआ और किसने इसे किया, फिलहाल यह जांच का विषय है। पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच नहीं कर रही है। यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी छत्तीसगढ़ के कई महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ी गई थी और उनका अपमान किया गया था।
स्वतंत्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह जी की मूर्ति को बसना में तोड़कर कचरा गाड़ी में फेंक दिया गया। इसके विरोध में सर्व आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने प्रदर्शन किया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
डॉ. खूबचंद बघेल की मूर्ति पर कालिख पोती गई। उसके अपराधी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। ABVP के कार्यक्रम में गुरु घासीदास जी की फोटो को शौचालय में चिपकाया गया। हमने इसका विरोध किया।
इस बार छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति की गर्दन काट दी गई और हाथ-पैर तोड़ दिए गए। पुलिस प्रशासन गहरी नींद में सो रहा था। आज पुलिस ने छत्तीसगढ़िया युवक को आरोपी बता दिया है और उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त बताया जा रहा है। क्या छत्तीसगढ़ की जनता इन्हें विक्षिप्त लग रही है या सरकार ही विक्षिप्त है, यह समझने की जरूरत है।
सवाल- मूर्ति तोड़ने के बाद आपकी पार्टी ने प्रदर्शन किया। आपने बयान दिया जिससे अन्य समाज में नाराजगी है? उनकी भावना आहत हुई है?
जवाब- छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति की हालत देखकर हम आक्रोश से भर गए थे। लेकिन यह समझना जरूरी है कि इसका अपमान सीधे हमारे छत्तीसगढ़ के पुरखों का अपमान है। बाहर के लोग जब अपने पुरखों की मूर्ति यहां लगाते हैं, तो उनके साथ कभी अपमानजनक हरकत नहीं होती है। यह घटना शंका और षड्यंत्र के घेरे में आती है। सीधे-सादे और शांत छत्तीसगढ़ को क्यों अशांत करने की कोशिश की जा रही है।
हमें यह देखना होगा कि दूसरे प्रदेश के लोग जब यहां आते हैं, तो उन्हें उद्योग लगाने के लिए जमीन दी जाती है। उन्हें विधानसभा में टिकट दी जाती है और उन्हें जीताकर लोकसभा भेजा जाता है। यहां ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों के लोग विधायक हैं, और इसके लिए कितनी सहृदयता की जरूरत है।
सवाल- आपके खिलाफ प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। अन्य समाज के लोग FIR करवा रहे हैं। आपका क्या कहना है?
जवाब- सभी को विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है। जहां तक FIR का सवाल है, हम माननीय न्यायालय में जाकर अपनी बात रखेंगे और बताएंगे कि हमने कहां सही कहा और कहां गलत। अगर ये लोग खुद को छत्तीसगढ़िया मानते हैं, तो उनकी भावनाएं क्यों नहीं आहत हुईं, जब 46 बच्चियों को बिहार ले जाकर बेच दिया गया था।
ये लोग धर्म की बात करते हैं, लेकिन छठ पूजा में अश्लील डांस हुआ। गरबा के बहाने छोटे कपड़े पहनकर डांस किया गया। फिल्मी गाने बजाए गए, जो गलत है। यह किस तरह की धार्मिकता है? हम छत्तीसगढ़िया पहले गिने-चुने होते थे। तब हमें सबसे बढ़िया कहते थे। लेकिन अब जब हम पढ़-लिखकर बोलना सीख गए हैं, तो हमें गुंडा कहना शुरू कर दिया गया है।
सवाल- 31 अक्टूबर को पार्टी ने रायपुर बंद का आह्वान किया है। वह कितना सफल हो पाएगा? क्योंकि ज्यादातर व्यापारी वर्ग दूसरे समाज से हैं।
जवाब- हम लोग गांधीवादी तरीके से हाथ जोड़कर सभी से बंद का समर्थन करने की अपील करेंगे। चाहे कोई भी प्रदेश या समाज से हो, अगर वह खुद को छत्तीसगढ़िया मानते हैं, तो हमारा साथ देंगे। इससे यह संदेश राष्ट्रीय स्तर तक जाएगा कि छत्तीसगढ़िया महतारी का अपमान अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं सभी व्यापारिक संगठन, छात्र संगठन, मजदूर संगठन और अन्य संगठनों से निवेदन करता हूं कि वे बंद का समर्थन करें।
सवाल- आप छत्तीसगढ़िया की बात करते हैं, आपके हिसाब से इसकी परिभाषा क्या है?
जवाब- यह सवाल गलत है। जैसे गुजरात में गुजराती कौन है, महाराष्ट्र में मराठी कौन है, वैसे ही ओडिशा में उड़िया कौन है। यहां की परिभाषा यह होनी चाहिए कि गैर-छत्तीसगढ़िया कौन है, यानी परदेसिया कौन है। अगर किसी को पाकिस्तान या बांग्लादेश से लाकर बसाया गया है, तो उन्हें यहां की मिट्टी का धन्यवाद देना चाहिए। छत्तीसगढ़ के संस्कृति में घुल मिल जाना चाहिए।
अंग्रेजों को भी स्वतंत्रता सेनानियों ने इसलिए भारत से भगाया, क्योंकि वे यहां रहकर हमारी संस्कृति, भाषा और खान-पान की जगह अपनी अलग आदतें और रंग दिखाने की कोशिश किए। इससे वे कभी सही मायने में भारतीय नहीं बन पाए। इसी तरह, दो चिन्हारी नहीं चलेगी। अगर कोई छत्तीसगढ़िया है, तो वह सिर्फ छत्तीसगढ़िया रहेगा। मैं पंजाबी हूं, लेकिन छत्तीसगढ़िया हूं। मैं मारवाड़ी हूं, लेकिन छत्तीसगढ़िया हूं, यह सही नहीं है।
सवाल- अन्य समाज के लोगों का कहना है कि उनके पुरखों ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बड़ा योगदान दिया है। अपनी जमीनें दान की हैं। इस पर क्या कहेंगे?
जवाब– कोई मारवाड़ी समाज, सिंधी, बिहारी या उड़िया समाज का उदाहरण बताइए, जिन्होंने लोक कल्याण के लिए दान किया। लेकिन अग्रवाल समाज के दाऊ कल्याण सिंह ने छत्तीसगढ़ के लिए जो किया है वह अतुलनीय है। हमारा संगठन हमेशा उनका सम्मान करता है और उन्हें अपना पुरखा मानता है।
ऐसे महापुरुष और महादानी को छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी प्रणाम करती है। दाऊ कल्याण सिंह की जमीन पर डीकेएस अस्पताल बनाया गया। हमने वहां उनकी मूर्ति स्थापित करने के लिए संघर्ष किया।
सवाल- ऐसा कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासी आदिवासी हैं। तो फिर आप और हम भी बाहरी हो गए?
जवाब- ये नरेटिव सेट करने के लिए कहा जाता है। ऐसे में बात करें तो पूरे भारत में आदिवासी थे। उस लिहाज से हम सभी बाहरी हो गए। लेकिन यह बात समझने की है, हम सभी मूल रूप से आदिवासी हैं।
पुराने समय में लोगों को काम के आधार पर वर्ग में बांटा गया। जो पढ़ाई-लिखाई करने लगे, वे ब्राह्मण कहलाए, जो खेती करते थे वे कुर्मी, जो तेल का व्यापार करते थे वे तेली, और जो गौशाला में सेवा करते थे, वे राउत हो गए। हालांकि, यह एक लंबा डिबेट है।
सवाल- प्रदेश के कई अलग अलग समाज के लोग इंतजार कर रहे हैं कि अमित बघेल माफी मांगेंगे। क्या बोलना चाहेंगे?
जवाब- अगर ये लोग मुझे अपना मानते, तो FIR करने से पहले मुझे बुलाते और मुझसे बात करते। हम सब मिलकर चर्चा कर लेते कि क्या सही है और क्या गलत। अब मेरी एक छोटी लाइन को पकड़कर मुद्दा बना दिया गया है। सरकार भी उनका इस्तेमाल कर रही है।
उन्हें ऐसा होने से बचना चाहिए। साथ मिलकर बातचीत करनी चाहिए। जहां मेरी गलती है, मैं स्वीकार करूंगा, और जहां उनकी गलती है, उन्हें स्वीकार करना चाहिए। अगर हम छत्तीसगढ़िया हैं, तो भाई के साथ बातचीत करने में क्या परेशानी है? ताली एक हाथ से नहीं बजती, हमेशा दोनों हाथों से बजती है।
प्यार और सम्मान देंगे तो यह वापस भी मिलेगा। यदि दुश्मनी लेंगे तो इसी धरती में कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पैदा हुए हैं। जैसा आप करोगे वैसा वापस पाओगे।
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