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सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र की विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद गहरा गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने से आदिवासी समाज ने आंदोलन की चेतावनी दी है। आदिवासी समाज का आरोप है
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उन्होंने प्रशासन से इस प्रमाण पत्र को रद्द करने की मांग की है और कार्रवाई के लिए दबाव बनाया है। आरोप है कि विधायक का जाति प्रमाण पत्र उनके पिता के दस्तावेजों के आधार पर जारी नहीं किया गया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि विधायक या उनके पति में से किसी के भी मूल जातीय दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए, फिर भी उन्हें यह प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
चार महीने बाद भी कार्रवाई नहीं
आदिवासी समाज ने इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। मामले पर 17 जून 2025 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए जिला स्तरीय और उच्च स्तरीय छानबीन समिति को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। आरोप है कि चार महीने बीतने के बाद भी जाति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं किया गया, जिसके बाद सामाजिक प्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ गई है।
जिला स्तरीय सत्यापन समिति की कार्रवाई
जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति की ओर से 28 अगस्त, 15 सितंबर और 29 सितंबर 2025 को नोटिस जारी किए गए और विधायक को दस्तावेज पेश करने कहा गया। समिति की सुनवाई में विधायक के अनुपस्थित रहने की बात सामने आई, जिसके चलते समाज ने इसे जांच प्रक्रिया से बचने की कोशिश बताया है।
फर्जी आदिवासी बनकर चुनाव लड़ने का आरोप
आदिवासी समुदाय का कहना है कि कथित रूप से गलत प्रमाण पत्र के आधार पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट से विधायक बनना सच्चे आदिवासियों के अधिकारों का हनन है। समाज ने इसे राजनीतिक धोखाधड़ी बताते हुए कहा कि इससे पूरे आदिवासी समाज की भावनाएं आहत हुई हैं।
आदिवासी समाज का अल्टीमेटम
आदिवासी समाज ने प्रशासन को 7 दिनों का समय दिया है। समाज ने घोषणा की है कि अगर निर्धारित समय में जाति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं होता है, तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे। समाज ने स्पष्ट किया कि आंदोलन के दौरान अगर कोई अप्रिय स्थिति बनती है, तो उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
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