छत्तीसगढ़ में पिछले 6 महीने में डिजिटल अरेस्ट ने 15 बड़े मामले सामने आए हैं। इन मामलों में आरोपियों ने 9 करोड़ रुपये की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। प्रदेश में हुए डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच अब सीबीआई करेगी।
By Deepak Shukla
Publish Date: Wed, 29 Oct 2025 10:42:43 AM (IST)
Updated Date: Wed, 29 Oct 2025 10:57:35 AM (IST)

नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर अपराधियों ने प्रदेशभर में छह महीनों में 15 पीड़ितों से करीब 9 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी की गई है। अब इन मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी है। रायपुर में अकेले छह लोगों से चार करोड़ रुपये ठगे गए हैं, जबकि बिलासपुर, भिलाई और राजनांदगांव में भी कई लोग इस गिरोह के शिकार बने हैं।
वहीं अब तक पुलिस ने अंतरराज्यीय नेटवर्क से जुड़े 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो गुजरात, उत्तरप्रदेश, झारखंड, आंध्रप्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से हैं। तकनीकी जांच और बैंक ट्रांजेक्शन के जरिए पुलिस आरोपियों तक पहुंची और अब तक लगभग 2.30 करोड़ रुपये की राशि पीड़ितों को वापस दिलाई गई है।
साइबर ठग दिल्ली, सीबीआई या अन्य एजेंसियों के अधिकारी बनकर लोगों को डराते हैं और उनसे लाखों, करोड़ों रुपये वसूल रहे हैं। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों के जमानत आवेदन खारिज कर दिए हैं।
ये हैं ठगी के बड़े मामले
- रायपुर में 63 वर्षीय महिला को 20 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 2.83 करोड़ रुपये ठगे लिए गए।
- सेजबहार में सरकारी इंजीनियरिंग कालेज के प्रोफेसर संतोष कुमार से 88 लाख रुपये की ठगी हुई।
- बिलासपुर में एसईसीएल के 72 वर्षीय रिटायर्ड कर्मचारी को तीन महीने डिजिटल अरेस्ट में रखकर 1.09 करोड़ रुपये ऐंठे गए।
- जांजगीर-चांपा में सेवानिवृत्त लिपिक से 32 लाख रुपये ठगे गए।
- कोडागांव और सरगुजा में भी ऐसे ही मामले सामने आए, जहां कुल 1.3 करोड़ रुपये की ठगी हुई।
डिजिटल गिरफ्तारी कैसे करते हैं ठग
डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले में अपराधी खुद को प्रवर्तन अधिकारी, जैसे सीबीआई एजेंट, आयकर अधिकारी या कस्टम एजेंटए बताते हैं और पीड़ितों से फोन कॉल के जरिए संपर्क करते हैं। इसके बाद वे पीड़ितों से वाट्सएप और स्काइप जैसे प्लेटफार्म के जरिए वीडियो कॉलिंग का विकल्प चुनने का अनुरोध करते हैं।
इसके बाद पीड़ितों को कर चोरी या अन्य कानूनी उल्लंघनों जैसे विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए डिजिटल गिरफ्तारी वारंट की धमकी देते हैं। कुछ मामलों में पीड़ितों को यह विश्वास दिलाने के लिए पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप तैयार करते हैं कि कॉल वैध है। इसके बाद मामला रफा दफा करने के लिए पैसे की मांग करते हैं।
बचाव के तरीके
- सबसे पहले नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर करें कॉल।
- साइबर धोखाधड़ी से जुड़े हर तरह के सुबूत को एकत्रित करके रखें।
- ठगी होने के बाद एक से तीन घंटे के भीतर करें शिकायत, पैसे मिलने की संभावना।
- 1930 पर फोन नहीं उठाने पर साइबर क्राइम की वेबसाइट पर रिपोर्ट करें।
- मोबाइल में अनजाने लिंक पर ना करें क्लिक और ना ही करें एप डाउनलोड।
- साइबर ठगी के फोन आने पर आप घबराएं नहीं, नंबरों को ब्लाक कर दें या फोन काट दें।
रायपुर में ठगी के अलग-अलग गैंग की गिरफ्तारी
| गैंग का प्रकार | संख्या |
|---|---|
| डिजिटल अरेस्ट गैंग | 18 |
| कंबोडिया गैंग | 06 |
| चाइना व हांगकांग गैंग | 27 |
| म्यूल एकांउंट गैंग | 168 |
| पीओएस गैंग | 19 |
| शेयर ट्रेडिंग गैंग | 95 |
| मेट्रोमोनियल गैंग | 16 |
| नाईजीरियन गैंग | 03 |
| कुल | 352 |
डिजिटल अरेस्ट को लेकर लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है। ठग अलग-अलग राज्यों में बैठकर संगठित गिरोह चला रहे हैं। अलग-अलग माध्यमों से उन तक पहुंचा जा रहा है। आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। लोगों को भी अलर्ट रहने की जरूरत है। जागरूकता से ठगी से बचा जा सकता है।
– मनोज नायक, निरीक्षक, साइबर रेंज प्रभारी, रायपुर
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