राज्य ब्यूरो, नईदुनिया रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा घोषित राज्य अलंकरण सम्मान समारोह 2025 राज्य की सामाजिक, आर्थिक और मानवीय सेवा की चमकदार मिसालें पेश करेगा। इस वर्ष पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान, महाराजा अग्रसेन सम्मान और यति यतन लाल सम्मान से नवाजे जाने वाले तीनों नाम रियल ग्रुप के चेयरमैन राजेश अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र अग्रवाल ‘राजू’ और भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं। इनके जीवन और कार्यों का प्रोफाइल न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि राज्य की प्रगति की दिशा भी दिखाता है।
राजेश अग्रवाल: उद्योग और शिक्षा के स्तंभ
राजेश अग्रवाल, रियल ग्रुप के चेयरमैन, छत्तीसगढ़ के औद्योगिक परिदृश्य के प्रमुख स्तंभ हैं। विज्ञान स्नातक और दो एमए डिग्रीधारी राजेश ने व्यवसाय प्रशासन की पढ़ाई के बाद 20 वर्षों से अधिक के करियर में स्टील, पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में क्रांति ला दी।
रियल इस्पात एंड पावर लिमिटेड के तहत उन्होंने न केवल राज्य की आर्थिक वृद्धि को गति दी, बल्कि हजारों रोजगार सृजित किए। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) छत्तीसगढ़ के पूर्व चेयरमैन के रूप में उन्होंने उद्योगों को सामाजिक जिम्मेदारी की दिशा दिखाई।
सामाजिक क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय है। महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल कॉलेज के चेयरमैन के रूप में उन्होंने शिक्षा को सुलभ बनाया, जबकि अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के संरक्षक के नाते सामुदायिक एकता को मजबूत किया। भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के मेंटर और जेसीज के अंतरराष्ट्रीय ट्रेनर के रूप में उन्होंने युवाओं को नेतृत्व और नैतिक मूल्यों की सीख दी।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और एपीजे अब्दुल कलाम से सम्मानित राजेश अग्रवाल का जीवन सिद्ध करता है कि आर्थिक सफलता सामाजिक उत्थान से जुड़ी होनी चाहिए। पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान उनके सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में योगदान की सच्ची पहचान है।
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ: अहिंसा और गौरक्षा का प्रतीक
जांजगीर-चांपा जिले के कात्रेनगर, सोंठी स्थित भारतीय कुष्ठ निवारक संघ (बीकेएनएस) कुष्ठ रोगियों की सेवा का जीवंत उदाहरण है। 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदा शिव गोविंद कात्रे द्वारा स्थापित यह संस्था गरीबी, अशिक्षा और अंधविश्वास से जूझते चाम्पा क्षेत्र में उम्मीद की किरण बनी।
कात्रे स्वयं रेलवे कर्मचारी थे, जिन्होंने कुष्ठ को ‘संक्रामक या असाध्य’ बताने वाली धारणाओं को चुनौती दी। संस्था ने चिकित्सा, पुनर्वास और जागरूकता पर जोर दिया—2500 से अधिक रोगियों में विकलांगता रोकी गई, जबकि 300 से ऊपर कुष्ठ और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को एकीकृत पुनर्वास मिला।
दामोदर गणेश बापट जैसे योद्धाओं ने 1974 से यहां जीवन समर्पित किया; वे रोगियों के साथ रहते, भोजन साझा करते और सामाजिक कलंक मिटाते। 2018 में पद्म श्री प्राप्त बापट की विरासत आज भी जीवित है।
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यतियतन लाल सम्मान अहिंसा और गौरक्षा के क्षेत्र में संघ के सेवा कार्यों-जैसे मोबाइल स्वास्थ्य केंद्र, बाल आश्रम और सामुदायिक एकीकरण को समर्पित है। यह संस्था सिद्ध करती है कि मानव सेवा ही सच्ची अहिंसा है। ये तीनों सम्मान छत्तीसगढ़ की विविधता और एकता को दर्शाते हैं। समारोह में इनकी उपस्थिति राज्य को नई प्रेरणा देगी।
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